आपणां बडेरा – A Rajathani Poem for Our Rajasthani Ancestors
हुक्को, चिलम और हताई, आ ही आपणां बडेरा री कमाई। उठता ही चीलम ढूंढता, फेर लोटो भरता हा ले ओटो आक गो निमटण भाग- पाटी निकळ ज्यावंता हा। डांगरा स्यू हेत घणो हो बाँटो हाथां स्यूं रळाता हा छोटा-छोटा बछड़िया नै बाखळ म खिलाता हा। भेंस्यां, पड़्या नें नुहाण ले ज्यांवता, सागै आप भी नहा आंवता, … Read more